एक सब्ज़ीवाली नित दोपहर मालती के घर की कालबैल बजाती।
‘‘बीवीजी! कुछ सब्ज़ी लेंगीं ?’’
मालती-‘‘नहीं! अभी नहीं चाहिए।’’
सब्ज़ीवाली-‘‘कुछ तो ले लो, हम दो कोस चलकर यहां आतीं हैं सब्ज़ी बेचने के वास्ते। अच्छा न लेयो तो पानी ही पिलाय देओ।’’
मालती पानी देते हुए-‘‘क्या नाम है तुम्हारा ?’’
सब्ज़ीवाली-‘‘दुलारी!’’
अब तो रोज़ का सिलसिला हो गया, दुलारी थकी मांदी आती और अपना स्टापेज़ समझ कुछ देर विश्राम करती। इस दौरान अपने छोटे बड़े किस्से सुनाती। अक्सर कभी उसकी आंख सूजी होती, तो कहीं नील पड़ी होती। कभी कभी तो उससे चला भी नहीं जाता इतनी चोट लग जाती। पूछने पर कहती उसका पति शराब पीकर उससे दिनभर की कमाई छीन लेता है। कुछ घर खर्च के लिए रख लेती और नहीं देती, तो मारता है। एक दिन दुलारी के आने का समय गुज़र गया और वह नहीं आयी अभी यह सोच ही रही थी कि मोड़ पर कुछ शोर सुना। शायद कोई औरत बेहोश हो गई थी। बाहर जाकर देखा तो दुलारी ही थी। खैर! उसे घर लायी और पानी पीने को दिया तो कहने लगी-‘‘नाहीं बीवीजी! आज हमार करवा चौथ कोउ व्रत हैगा, हमने पानी की एकहुं बूंद सुब्बे से नाहीं लेईं। तबहीं तो हम बेहोस हो गईं।’’
मालती ने कहा-‘‘तू तो पेट से है न ? फिर इतना सख्त व्रत ?’’
दुलारी-‘‘का करें आखिर भरतार के लिए सबहीं करना पड़ता है।’’
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अच्छा लिखा आपने पर अब बहुत कुछ बदल रहा है............
ReplyDeleteमार्मिक रचना...
ReplyDeletedekhne me choti par gambheer ghav karne wali rachana
ReplyDeleteब्लॉग की प्रथम वर्षगाठ पर बहुत-बहुत बधाइयाँ।
ReplyDeleteमुझे तो ऐसा लगता है कि
ReplyDeleteऐसी लघुकथाओं के सृजन से
अन्याय सहते रहने का संदेश
अधिक बलशाली होकर
समाज के सम्मुख आता है!
blog ki saalgirah pe dhero badhaiyaa aapko .safalta ki is mukaam tak pahuchane par haardik shubhkaamnaye .rachna ji aapki is sundar rachana ke saath .
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा है आपने! पढकर बहुत अच्छा लगा!
ReplyDeleteमेरे नए ब्लॉग पर आपका स्वागत है -
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com
समाज के लिए एक सन्देश देती कथा के लिय आपको साधुवाद ...रचना जी मेरे ब्लॉग ने भी एक साल सफ़र पूरा कर लिया है ..आपका स्वागत है
ReplyDeleteआपके ब्लॉग देखे। अच्छा लगा। बधाई
ReplyDeleteसुंदर लघुकथा। बधाई।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
bahut sundar....bachpan mein sahitya se jo dor judi thi uskaa siraa aaj phir mil gaya
ReplyDeleteयह हिन्दुस्तान है। पति चाहे कितना भी मार ले, गर्भवती पत्नी करवाचौथ तो करेगी ही।
ReplyDeleteSend Valentines Day Roses Online
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I am delighted to discover this post, I really the Whole Blog on Indian Women by Rachna Ma'am thanks a lot. One more thing, if anyone can check my Valentine Hampers Blog and let me know what I can do more to improve.
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