Monday, June 29, 2009

पानी और बुलबुला

आपको पता है प्रकृति बोलती है । ये चांद सितारे,हवा,पानी,फूल,पत्थर सभी आपस में बातें करते हैं । ऐसी बातें जिनकी न तो कोई भाषा होती है,और ना ही शब्द । हमें सुनायी देती है तो एक हल्की गूंज जिसे हम इनका शोर समझते है । यक़ीन नहीे होता तो सुनिये पानी और बुलबुले का वार्तालाप, एक दिन पानी ने नितांतउदास स्वर में बुलबुले से कहा - ‘मित्र,तुम हर क्षण मुझमें उठते हो और दूसरे ही क्षण नष्ट हो जाते हो । तुम्हारे इस क्षणिक जीवन से क्या लाभ ?’
बुलबुले ने उत्तर दिया - ‘ अरे! हम हमारे लिये थोड़े ही जीते हैं,हम तो दूसरों की आंखें खोलने के लिये जीते हैंकि तुम भी हम जैसे ही हो । तुम्हारा जीवन भी क्षणिक है ।’
पानी ने फ़िर पूछा - ‘ तो क्या तुम्हारी बात सुनी है किसी ने आज तक ?’
बुलबुला - ‘भले ही न सुने कोई मग़र हमें तो अपने छोटे से जीवन को सोद्धेश्य बनाना ही है ।’
जब यह बात एक बुलबुला सिखा रहा है तो हम क्यों न सीखें अपने जीवन को उद्वेश्यपूर्ण बनाना

7 comments:

  1. जीवन भी तो बुलबुला ही है ,एक क्षण में जीवन -अगले क्षण समाप्ति .

    ReplyDelete
  2. बुलबुले ने उत्तर दिया - ‘ अरे! हम हमारे लिये थोड़े ही जीते हैं,हम तो दूसरों की आंखें खोलने के लिये जीते हैंकि तुम भी हम जैसे ही हो । तुम्हारा जीवन भी क्षणिक है ।’
    bahut sundar bhav saath hi prernadayak bhi .

    ReplyDelete
  3. बिल्कुल सही कहा!!

    ReplyDelete
  4. बुलबुला बुलबुला ही सही सतह पर तो है
    बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  5. bulbulene meri munh ki baat chin li....ek dam sahi

    ReplyDelete
  6. बहुत सही कहा आपने

    ReplyDelete