आपको पता है प्रकृति बोलती है । ये चांद सितारे,हवा,पानी,फूल,पत्थर सभी आपस में बातें करते हैं । ऐसी बातें जिनकी न तो कोई भाषा होती है,और ना ही शब्द । हमें सुनायी देती है तो एक हल्की गूंज जिसे हम इनका शोर समझते है । यक़ीन नहीे होता तो सुनिये पानी और बुलबुले का वार्तालाप, एक दिन पानी ने नितांतउदास स्वर में बुलबुले से कहा - ‘मित्र,तुम हर क्षण मुझमें उठते हो और दूसरे ही क्षण नष्ट हो जाते हो । तुम्हारे इस क्षणिक जीवन से क्या लाभ ?’
बुलबुले ने उत्तर दिया - ‘ अरे! हम हमारे लिये थोड़े ही जीते हैं,हम तो दूसरों की आंखें खोलने के लिये जीते हैंकि तुम भी हम जैसे ही हो । तुम्हारा जीवन भी क्षणिक है ।’
पानी ने फ़िर पूछा - ‘ तो क्या तुम्हारी बात सुनी है किसी ने आज तक ?’
बुलबुला - ‘भले ही न सुने कोई मग़र हमें तो अपने छोटे से जीवन को सोद्धेश्य बनाना ही है ।’
जब यह बात एक बुलबुला सिखा रहा है तो हम क्यों न सीखें अपने जीवन को उद्वेश्यपूर्ण बनाना
Monday, June 29, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
जीवन भी तो बुलबुला ही है ,एक क्षण में जीवन -अगले क्षण समाप्ति .
ReplyDeleteबुलबुले ने उत्तर दिया - ‘ अरे! हम हमारे लिये थोड़े ही जीते हैं,हम तो दूसरों की आंखें खोलने के लिये जीते हैंकि तुम भी हम जैसे ही हो । तुम्हारा जीवन भी क्षणिक है ।’
ReplyDeletebahut sundar bhav saath hi prernadayak bhi .
बहुत सही !!
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा!!
ReplyDeleteबुलबुला बुलबुला ही सही सतह पर तो है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
bulbulene meri munh ki baat chin li....ek dam sahi
ReplyDeleteबहुत सही कहा आपने
ReplyDelete