Saturday, May 9, 2009



                                            मदर्स डे
माँ को त्याग व ममता की मूर्ती कहा जाता है। उसे सम्मान देने के लिए आज सम्पूर्ण विश्व १० मई को मदर्स डे की ११० वीं वर्ष गाँठ मनाने जा रहा है। कहते हैं न कि पूत कपूत हो सकता है मगर माता कभी कुमाता नही होती। वह जीवनदायिनी है, माँ है, शिक्षिका है, संस्कारवाहिनी है, निर्देशिका है, आज के ज़माने में अच्छी दोस्त भी ऐसीमाँ को शत-शत नमन। इस दिन माँ को उपहार देकर अपनी कृतज्ञता जताई जाती है, ज़रा से सम्मान से ही माँ के प्यार की निश्छलता और बड़ जाती है। मदर्स डे की स्थापना क श्रेय अन्ना जार्विस को जाता है जिन्होनें दुनिया के सर्वाधिक लोकप्रिय दिवस को कोमल संवेदनाओं द्वारा माँ के सम्मान में अभिव्यक्त करने से शुरुआत की। यह घटना १९०५ के समय की है जब जार्विस ने माँ की मौत के तीन साल बाद उसी चर्च में जहां माँ को भीगे पलों मे अलविदाकहा था वहीं से पहले अधिकारिक मदर्स डे का आयोजन किया। 
आप सब को बहुत शुभकामनाएँ। माँ होने के दो महत्वपूर्ण पहलू होते हैं। पहला है बिना शर्त असीम प्यार और दूसरा बच्चे की ज़रूरतें समझ कर उन्हें पूरा करना और इसके लिए कुछ भी कर गुज़रना। इसके विपरीत पिता का प्यार शर्तों में बँधा है। अगर आपका व्यवहार अच्छा है, आप पढाई में तेज़ है, उनकी उम्मीदोंपर खरे उतरते हैं तो आप इस प्यार के हकदार हैं। वैसे तो हम में से कोईभी हमेशा बिना शर्त प्यार नहीं लुटाता पर कभी न कभी ऐसा प्यार करते हैं। हम सब को ज़रूरत होती है दोनों किस्म के प्यार की । मां के लिए बहुत आसान होता है गोद के बच्चे को बिना शर्त प्यार देना और उसकी ज़रूरतें समझना । बच्चे जब बड़े होने लगते हैं तब कुछ नियम व कानून की आवश्यकता पड़ती है यहां बिना शर्त प्यार वाली बात बच्चों के भविष्य को नुकसान पहुंचा सकती है अतः यहां से पिता के शर्त वाले प्यार की आवश्यकता होतीहै । जरूरतों और मांगों में बच्चों व बड़ों दोनों को फर्क समझना ज़रूरी है । मां बिना कहे ज़रूरतों को समझती है और अपनी ताकत के अनुसार मांगों को भी पूरी करती है। मां बच्चे को,संवाद एक दूसरे की ओर करीब लाते हैं । हम सब में कहीं न कहीं मां व बच्चा दोनों छुपे हैं जो समयानुरूप अपनी भूमिकाएं अदा करते है । कई लोग इन्हें भावनाओं , संवेदनाओं से न जोड़्कर सिर्फ बाज़ार कैप्चर करने का दिन मानते हैं । मगर हर दिन अपनी अहमियत रखता है आज के ज़माने में प्रदर्शन एक ज़रूरत बन गया है । प्रदर्शन बुरी चीज़ नहीं है यह तो किसी से भी प्यार की स्पीड बढ़ाने वाली एक सहायक मास्टर चाबी है । जो बात आप दो साल में समझेंगे इसमें समय बेकार होगा बजाय इसके कि दो पिन में अपनी भावनाएं अभिव्यक्त कर दी जाएं । सुख-दुख , क्रिया-प्रतिक्रिया के विज्ञान के नियम पर चलते हैं । आपको सुख पहुचानें वाले को यदि आप अपनी कृतज्ञता शब्दों ,फूलों ,उपहारों या कार्ड व एस.एम.एस.द्वारा प्रदर्शित करेंगे तो उसके प्यार की बगिया निश्चलता से निश्चित ही महक उठेगी और आपके आपके जीवन में एक मीठी सुगंध भर देगी ।
यदि आप मदर्स डे मनाने जा रहे हैं तो अपने सेलीब्रेशन का थोड़ा सा तरीका बदल कर देखें मां वारी वारी जाएगी । इस दिन मां के मुताबिक रह कर उसे सम्मानदें उसकी सिखाई बातों का अनुसरण करें ,उसकी बहुत दिनों से चली आरही आपके प्र
ति किसी शिकायत को खत्म करें । मां को उसके सिखाए संस्कार अपने प्यार के आईने में एक बार अवश्य दिखाएं ताकि मां कादिल अपनी शिक्षा व परवरिश पर गर्वित हो सके । यही हमारी भारतीय संस्कृति व संस्कारों में जान डालेगा । समयानुसार पाश्चात्य तौर तरीके तो हैं ही केक ,पार्टी,गिफ्ट आदि । लेकिन दोस्तों भारतीय मां के लिए एक दिन भारतीय संतान के रूप में दें तो मैं और इस भूमि की तमाम मांएं आभारी होंगी ।

10 comments:

  1. sahi likha aapne . ye painting kya apne banayi ai?

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  2. मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं.

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  3. Bahut khoob...maa bachche ke sambhand ko bahut khoobsurti ke saath ukera hai aapne. koshish karti hoon kai baar aapke bolg post padhne ki par padhai ki vyastta ke karan kam ho pata hai

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  4. swapnil ji, kya khub likhti hai aap. please keep writing

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  5. thanka
    aapne lekh ko pasand kiya. madarsh day par likhi gai kavita achchha hai.

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  6. Bahut Bahut Dhanyabad apko ki apne mere Blog ko saraha....

    Mothers day ki shuruat ke bare me janna achha laga...Maa to Maa hoti hai...

    Maa ke liye maine ek kavita likhi hai apne Blog me "MAA TUM PRATHAM PUJYA HO" Ummid hai aap use padhengi aur apna comments jarur likhengi...

    Regards
    Einstein Kunwar.

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  7. रचना जी ...

    आपके द्धारा लिखित लेख पढे बहुत अच्छे लगे , लिखने का थोडा मुझे भी शोक है ..आप इस प्रकार अच्छे लेख लिखते रहे ..

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