Monday, July 20, 2009

अपने -पराये

नदी में डूबते हुए एक युवक को मल्लाहों ने खींच कर बाहर निकाल लिया । किनारे पर बैठा एक साधु यह देख रहा था । बाहर आकर युवक दुखी स्वर में बोला - ‘ आपने मुझे क्यों बचा लिया , जिनके साथ मैंने अच्छा किया था , उन्होने मेरे साथ बुरा किया । आपके साथ न मैंने अच्छा किया , न बुरा किया फिर भी आपने मुझे बचा लिया ।’
उसकी बात सुन साधु बोला -‘पुत्र! अपने तो स्वार्थ के होते हैं , और पराये निःस्वार्थ के जिदंगी का यह सच कितना कड़वा था मगर एकदम सच ।

3 comments:

  1. सत्य वचन...समझने योग्य!!

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  2. आपके यहाँ वर्ड वेरिफिकेशन लगा है...बात हजम नहीं होती..अलग करें इसे और मॉडरेशन लगा लें अगर आवश्यक हो तो!!

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