Tuesday, July 20, 2010

कोटा में दो दिवसीय अखिल भारतीय नारी साहित्यकार सम्मेलन -2010

(एक रिपोर्ट)

अखिल भारतीय साहित्य परिषद, राजस्थान द्वारा वर्ष भर में राज्य के विभिन्न स्थानों पर अलग अलग विषयों पर कार्यक्रम करवाए जाते हैं । परिषद द्वारा राज्य स्तर पर नारी प्रकोष्ठ का गठन किया गया जिसके सम्मेलन का उद्वेश्य नारी चिन्तन से जुड़ा ‘वर्तमान प्रांतीय अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी कोटा की श्रीमती रचना गौड़ ‘भारती’ को सौंपी गई । कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु 600 से अधिक साहित्यकारों को सूचनाएं देश के कोने कोने में प्रेषित की गईं। परिषद के वार्षिक कार्यक्रम के अनुसार अखिल भारतीय स्तर का नारी साहित्यकार सम्मेलन कोटा में 17-18 अप्रैल को हुआ जिसका संयोजन श्रीमती रचना गौड़ भारती ने किया। राजस्थान में होने वाला अब तक का यह तीसरा नारी साहित्यकार सम्मेलन था जिसमें देश के विभिन्न प्रदेशों की लेखिकाओं ने भाग लिया। परिषद के प्रदेशाध्यक्ष मथुरेश नन्दन कुलश्रेष्ठ एवं संयोजिका द्वारा कार्यक्रम की पूर्व सूचना पत्रकार वार्ता के जरिये पत्रकारों को दी गई। वार्ता में राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर, नवभारत टाइम्स, दैनिक नवज्योति, हिदुस्तान टाइम्स, टाइम्स ऑफ इंडिया एवं सभी लोकल समाचार पत्रों व ई. टीवी, एस.टीएन, 24चैनल आदि के पत्रकारों ने भाग लिया।
दिल्ली से आई प्रसिद्ध लेखिका एवं केन्द्रीय मानव समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष डा0मृदुला सिन्हा ने कहा कि बेटी ,बेटी के रुप में और पत्नी, पत्नी के रुप में रहे तो ही श्रेष्ठ है । पसीना पसीना होते हुए पति के लिए खाना पकाना या परिजनों की खुशी के लिए गृहकार्य करना महिलाओं के लिए उत्पीड़न नहीं है । नारी नारी के रुप में ही सर्वश्रेष्ठ है और यही उसकी परिभाषा है ।
स्त्री और पुरुष ए
क दूसरे के पूरक हैं । दोनों को एक दूसरे के अनुकूल बनाने की जरुरत है । समाज में आज जिस तरह विभाजन रेखाएं खींची जा रही हैं,उससे महिला लेखिकाओं का लेखन भी प्रभावित हुआ है । विवाह का बंधन तो महज कपड़े का बन्धन है , जो इतना मजबूत नहीं होता जितना महिला पुरुष को एक दूसरे को अनुकूल बनाने से होता है ।दशक का नारी साहित्य और भारतीय जीवन मूल्य’ शीर्षक में बांधा गया। परिषद द्वारा कराई जाने वाली अखिल भारतीय स्तर की साहित्यिक वार्षिक प्रतियोगिताओं का पुरस्कार वितरण भी इसके साथ किया गया। कार्यक्रम के उदघाटन सत्र की शुरुआत 17 अप्रेल की प्रातः 10 बजे सरस्वती पूजन एवं वन्दना के साथ हुई । उदघाटन सत्र की अध्यक्षता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष बलवंत जानी ने की, मुख्य अतिथि मानव मूल्यों के विश्वकोशकार डा0धर्मपाल मैनी एवं विशिष्ट अतिथि देश की मानी हुई लेखिका एवं केन्द्रीय मानव समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष डा0मृदुला सिन्हा थी। इनके साथ परिषद के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डा0दयाकृष्ण विजय, प्रदेशाध्यक्ष डा0मथुरेश नन्दन कुलश्रेष्ठ एवं संयोजिका श्रीमती रचना गौड़ ‘भारती’भी
मंचासीन थे । सत्र का संचालन रामंेंश्वर शर्मा ‘‘रा
मू भैया ने किया । सभी अथितियों का शाल ओढ़ाकर सम्मान किया ग
या । इसके पश्चात कार्यक्रम की स्मारिका ‘‘हमारा दृष्टिकोण’’ का विमोचन मंचासीन अतिथियों के साथ परिषद के प्रदेशाध्यक्ष डा0मथुरेश नन्दन कुलश्रेष्ठ एवं स्मारिका की संपादक श्रीमती रचना गौड़ ‘भारती’ ने किया । इसके पश्चात सभी अतिथियों द्वारा श्रीमती रचना गौड़ ‘भारती’ के प्रथम काव्य संग्रह ‘‘नई सुबह’’ का लोकार्पण किया गया और इस काव्य संग्रह को नारी संवेदनाओं की प्रभावी अभिव्यक्ति बताया गया । जिसका संक्षिप्त विवरण वीरेन्द्र विद्यार्थी द्वारा दिया गया । इसी सत्र में कोटा की युवा उभरती रेखांकनकार यामिनी गौड़ का परिषद की कोटा इकाई की तरफ से राष्ट्रीय अध्यक्ष बलवंत जानी एवं साहित्यकार डा0मृदुला सिन्हा द्वारा शाल ओढ़ाकर सम्मान किया गया । इनके द्वारा स्मारिका एवं ‘नई सुबह’ काव्य संग्रह का रेखांकन किया गया । इससे पहले ये देश की कई
जानी मानी साहित्यिक पत्रि
काओं मधुमती,साहित्य अमृत,सरस्वती सुमन आदि का रेखांकन कर चुकी हैं ।
सम्मेलन के मुख्य वक्ता डा0धर्मपाल मैनी ने नारी के गुणों पर केन्द्रित विचार रखे ,उन्होंने कहा कि आज नारी को लेकर विषाक्त वातावरण बन रहा है ,उससे नारी अपने आप को भारतीय जीवन मूल्यों का अनुसरण करके ही बचा सकती है । एक नारी ही है जिसमें संवेदना से जुड़े तत्व हैं । उसमें सहनशक्ति,स्थिरचिŸाता,सदाचार और सात्विकता पुरुष की तुलना में बहुत अधिक होती है । ‘‘नारी की किशोरावस्था में लज्जाशीलता से शुरुआत होती है, जो बाद में संकोच,मधुरता ,नम्रता,कोमलता,दया,क्षमा,प्रियता में बदल जाती है । उन्होंने कहा कि ‘‘ नारी की स्वभाविकता को खत्म नहीं होने देना चाहिए ,स्वभाविकताा से ही सहजता आती है जो सरलता,स्पष्टता,सादगी,उदारता गरिमा,गहराई,सुगमता
और
आत्मविश्वास बनकर उभरती है ।
अध्यक्षता कर रहे परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष बलवंत जानी ने कहा कि वर्Ÿामान में नारी को भोगवादी और बिकाउवादी बनाने की जो सोच पनप रही है , उसे रोकने की जरुरत है लेखकों को इसके लिए मुहिम चलाना होगा । उन्होंने परिषद के कामकाज और भावी गतिविधियों के बारे में भी जानकारी दी । परिषद अध्यक्ष डा0 मथुरेश नन्दन कुलश्रेष्ठ व विशिष्ठ अतिथी साहित्यकार डा0 दयाकृष्ण विजय ने भी अपने विचार व्यक्त किए । रचना गौड़ भारती ने हमारा दृष्टिकोण स्मारिका की संपादकीय सबके समक्ष प्रस्तुत की ।
उदघाटन के पश्चात प्रथम सत्र में वर्Ÿामान दशक का नारी साहित्य चिंतन विषय पर परिचर्चा हुई । महिला लेखिकाओं का मानना है कि नारी और पुरुषों के बीच विभाजन रेखाएं खींचने से ही परिवारों में आज विवाद की स्थितियां पैदा हुई हैं । नारी विकास या नारी विमर्श के नाम पर एक साजिश के तहत ऐसा किया जा रहा है । उड़नपरी बनकर नहीं बल्कि भारतीय जीवन मूल्यों का रास्ता अपनाने से ही नारी अपनी अस्मिता और गरिमा को सुरक्षित रख सकती है । जोधपुर से आई मुख्य अतिथि डा0 तारा लक्ष्मण गहलोत ने कहा कि स्त्री और पुरुष के बेहतर समन्वय और समानता सें ही सुन्दर समाज की रचना सम्भव है। श्रीमती दीप्ति कुलश्रेष्ठ ने पत्रवाचन में कहा कि नारी को उसके श्रम का जो प्रतिफल और न्याय मिलना चाहिए, वह पुरुष नहीं देना चाहता । नारी को धार्मिक आडंबरवाद से बाहर आना जरुरी है । उन्होंने देश की जानी मानी लेखिकाओं की रचनाओं के संदर्भ देते हुए कहा कि नारी को अक्षर की तरह पढ़ने की जरुरत है । वह पुरुष से दबकर रहती है तो असुर संहार के लिए भी उठ खड़ी होती है । परिचर्चा की अध्यक्षता कर रही पूर्व महापौर श्रीमती सुमन श्रंगी, डा0 जयश्री, डा0शमा खान, डा0अनिता अग्रवाल,डा0सरोज गुप्ता सरस्वती,जगदीश तोमर,डा0अपर्णा पाण्डेय और क्षमा चतुर्वेदी ने भी विचार व्यक्त किए । संचालन डा0अनिता गुप्ता द्वारा किया गया ।
द्वितीय सत्र हिन्दी कथा-साहित्य के संदर्भ में था। द्वितीय सत्र की अध्यक्षता आगरा की डा0 सरोज गुप्ता ने की। इसमें मुख्य अतिथि जगदीश तोमर थे। कथा साहित्य में नारी को लेकर चर्चा हुई। नारी की श्रेष्ठता एवं भारतीय जीवन मूल्यों पर प्रकाश डाला गया। इस सत्र का मंच संचालन डा0 अपर्णा पाण्डे ने किया। तीसरे सत्र में हिन्दी कविता के बारे में चर्चा हुई। इसकी अध्यक्षता श्रीमती क्षमा चतुर्वेदी ने की, मुख्य अतिथि मृदुला सिन्हा एवं विशिष्ट अतिथि कैलाश चन्द जी थे। इस सत्र को संचालित किया डा0 गीता सक्सेना ने। इन सत्रों में देश के विभिन्न हिस्सों से आए करीब तीन दर्जन साहित्यकारों ने अपने विचार रखे और पत्र वाचन किये । दिनभर के बाद शाम को मेहमान साहित्यकारों के लिए काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। जिसमें विभिन्न विषयों पर कवियों ने रचनाएं पढ़ीं। काव्य गोष्ठी में स्थानीय कवियों के साथ जोधपुर, जबलपुर, आगरा तथा अन्य जगहों से आए रचनाकारों ने लुत्फ़ उठाया। गोष्ठी की अध्यक्षता उर्मिला औदिच्य ने की एवं मुख्य अतिथि जोधपुर की डा0 तारा लक्ष्मण गहलोत थीं। काव्य गोष्ठी को अपने निराले अंदाज़ से रामनारायण हलधर ने इसका उत्कृष्ट संचालन किया।

अगले दिन संगठनात्मक बैठक से कार्यक्रम का आरम्भ हुआ। इसमें प्रदेशाध्यक्ष मथुरेश नन्दन कुलश्रेष्ठ एवं महामंत्री प्रद्युम्न वर्मा के साथ परिषद के सदस्यों ने भाग लिया। चतुर्थ सत्र में विभिन्न विधाओं में साहित्य सृजन पर परिचर्चा हुई। इसमें मुख्य अतिथि डा0 गार्गीशरण मिश्र थे। जिन्होने कहा कि नारी को बाज़ार में बिकने वाली वस्तु बना देने वाले लेखन के खिलाफ साहित्कारों को मुहिम छेड़ना होगा। इसकी अध्यक्षता डा0 सरोज गुप्ता ने की। समारोह में डा0 मनीषा शर्मा की आलोचनात्मक पुस्तक का लोकार्पण हुआ। यह पुस्तक प्रख्यात लेखिका नासिरा शर्मा के कथा साहित्य में दलित चेतना, स्त्री चेतना एवं वैश्वीकरण को संदर्भित करते हुए लिखी है। इस सत्र का सफल संचालन डा0 प्रेम जैन ने किया।

समापन समारोह के मुख्य अतिथि हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग के अध्यक्ष डा0सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कहा कि प्रसिद्ध लेखक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने अपने लेखन में भारतीय दृष्टि को आधार बनाकर नर-नारी के बीच सामंजस्य की बात कही थी, लेकिन अब देह की राजनीति, किराए कि कोख और यौन स्वतंत्रता की मांग की जा रही है। अध्यक्षता कर रही कथाकार मृदुला सिन्हा ने कहा कि महर्षि दयानन्द ने वेदों की खोज से जो निष्कर्ष निकाला था, उसमें स्त्री-पुरूष को बराबर का दर्जा दिए जाने की बात थी, लेकिन मुगलकाल में नर-नारी के बीच भेदभाव की सोच का प्रादुर्भाव हुआ। पश्चिम की चेतना जो हमारे सामने चुनौती बनकर खड़ी है, उसे विवेक से पराजित करना होगा। साहित्य परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष बलवंत जानी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

कार्यक्रम में देशभर से करीब 200 साहित्यकारों ने हिस्सा लिया । समापन में परिषद द्वारा आयोजित की जाने वाली वार्षिक प्रतियोगताओं का पुरुस्कार वितरण भी किया गया ।
1 डा0 सरोजिनी कुलश्रेष्ठ कहानी -संग्रह पुरुस्कार
प्रथम पृरुस्कार - श्री जगदीश तोमर (ग्वालियर)
पुरुस्कृत कृति -अन्तहीन यात्रा
द्वितीय पृरुस्कार - श्री राधे मोहन राय (अलवर)
पुरुस्कृत कृति -बही लिखकर क्या होगा ?
- डा0अहिल्या मिश्रा (हैदराबाद)
पुरुस्कृत कृति -मेरी इक्यावन कहानियां

2 श्री शुकदेव शास्त्री निबन्ध -संग्रह पुरुस्कार
श्री गार्गी शरण मिश्र ‘मराल’ (जबलपुर)
पुरुस्कृत कृति -‘आधुनिक विज्ञान और आध्यामित्कता’

3 स्व0 घनश्याम दास बंसल स्मृति हिन्दी काव्य -संग्रह पुरुस्कार
प्रथम पृरुस्कार - डा0रामलाल स्नेही शर्मा (फिरोजाबाद)
पुरुस्कृत कृति -‘मेले में यायावर’
द्वितीय पृरुस्कार - डा0श्रीमती रेणु शाह (जोधपुर)
पुरुस्कृत कृति -‘उजास के पल’

4 श्रीमती सरला अग्रवाल कहानी पुरुस्कार
प्रथम पृरुस्कार - संगीता माथुर (कोटा)
पुरुस्कृत कहानी -‘समीकरण’
द्वितीय पृरुस्कार - भावना शर्मा (बोकारो)
पुरुस्कृत कहानी -‘वापसी’

5 अखिल भारतीय नारी साहित्यकार सम्मेलन पुरुस्कार
विषय - ‘वर्तमान दशक का नारी साहित्य और भारतीय जीवन मूल्य’ पर निबन्ध प्रतियोगिता
प्रथम पृरुस्कार - डा0अनीता गुप्ता (कोटा)
द्वितीय पृरुस्कार - फ्रांसिस्का कुजूर (गिरीडीह)
तृतीय पृरुस्कार - श्रीमती शशि प्रभा शर्मा (कोटा)


अखिल भारतीय स्तर की प्रतियोगिताओं के उक्त सभी विजेताओं को नकद राशि, शॉल एवं प्रशस्तिपत्र प्रदानकर पुरस्कृत-सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के समापन पर संयोजिका रचना गौड़ भारती ने प्रत्येक साहित्यकार को समाचार पत्र ‘यंग एचीवर’ के सौजन्य से स्मृति चिन्ह भेंट किए एवं देश भर से आए सभी साहित्यकारों को कार्यक्रम में आकर सफल बनाने हेतु धन्यवाद प्रेषित किया ।





संयोजिका
रचना गौड़ ‘भारती
अध्यक्ष ‘नारी प्रकोष्ठ’ अखिल भारतीय साहित्य परिषद,राजस्थान
फीचर सम्पादक ‘यंग एचीवर’ समाचार पत्र,कोटा
कार्यकारी सम्पादक‘‘जिन्दगी लाईवश्पत्रिका कोटा (राज.)
सचिव कोटा महिला साहित्य क्लब,कोटा